आत्मा |
हिन्दू मान्यता के अनुसार आत्मा परम पिता परमेश्वर की ज्योति से निकल इस संसार में मनुष्य जन्म धारण करती है। यदि मनुष्य के कर्म बुरे हुए, तो जीवात्मा नरक में जाती है,
यदि कर्म उच्च हुए जो स्वर्ग में जीवात्मा जाती है और यदि कर्म मध्यम हुए , तो फिर से मनुष्य जन्म मिलता है, जिसे दूँसरे शब्दों में उद्धार का एक अवसर और मिलना कहा जाता है और यदि कर्म अति उच्च हुए, जो जीवात्मा भवसागर पार उतर जातीहै। यानि 84 लाख योनियों के आवागमन से छूट जाती है| नरक के बाद जीवात्म
यदि कर्म उच्च हुए जो स्वर्ग में जीवात्मा जाती है और यदि कर्म मध्यम हुए , तो फिर से मनुष्य जन्म मिलता है, जिसे दूँसरे शब्दों में उद्धार का एक अवसर और मिलना कहा जाता है और यदि कर्म अति उच्च हुए, जो जीवात्मा भवसागर पार उतर जातीहै। यानि 84 लाख योनियों के आवागमन से छूट जाती है| नरक के बाद जीवात्म
अन्य योनियों में जाती है, जबकि स्वर्ग काल पूरा कर जीवात्मा मनुष्य के तन मे प्रवेश करती है|
मृत्यु के बाद आत्मा दूसरा शरीर कितने दिनों के अन्दर धारण करता है?
source:aryamantavya
मृत्यु के बाद दूसरा शरीर प्राप्त होने में इतना ही समय लगता है, जितना कि एक कीड़ा एक तिनके से दूसरे तिनके पर जाता है अर्थात् दूसरा शरीर प्राप्त होने में कुछ ही क्षण लगते हैं, कुछ ही क्षणों में आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है। आत्मा कितने दिनों मे तो दूर यहाँ शास्त्र दिनों की बात नहीं कर रहा कुछ क्षण की ही बात कह रहा है।
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